Monday, March 28, 2011

मुझे मेरी माँ दिखती है.............अरशद अली

कोई आधार ढूंढे तो
मुझे मेरी माँ दिखती है
मुझमे संस्कार ढूंढे तो
मुझे मेरी माँ दिखती है

मेरे चेहरे की हर खुशियाँ
मेरे अन्दर का एक इंसा
गढ़ा है खुद को खोकर जो
मुझे मेरी माँ दिखती है

कोई ढूंढे तो क्या ढूंढे
इस दुनिया में एक नेमत को
बहुत साबित कदम हरदम
मुझे मेरी माँ दिखती है

अजान के बोल से जगती
लिए मुस्कान ओंठो पर
शुबह से शाम तक चंचल
मुझे मेरी माँ दिखती है

दिया हिम्मत ज़माने में
रुका जब भी थक कर मै
जब कोई राह नहीं दिखता
मुझे मेरी माँ दिखती है

रिश्तो के चेहरों में
शिकन आ हीं जाते हैं
जो बदले नहीं कभी
मुझे मेरी माँ दिखती है ..


अरशद अली

8 comments:

M. Afsar Khan said...

behtar....
aur jaruri rachna.
aisi rachna ke liye dhanywad,
thnx

shyam gupta said...

सुन्दर,अति-सुन्दर.... अर्शद जी---

कण कण में मुझे मां दिखती है....

जीवन की हर एक सफ़लता,
की पहले सीडी होती मां ॥

RAJWANT RAJ said...

bhut hi khoobsoorti se ma ke liye apne dil ke jjbat pesh kiye .

रविकर said...

भिक्षाटन करता फिरे, परहित चर्चाकार |
इक रचना पाई इधर, धन्य हुआ आभार ||

http://charchamanch.blogspot.com/

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

बहुत सुन्दर...बधाई

Sawai Singh Rajpurohit said...

ईद मुबारक आप एवं आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ..सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया

ईद पर विशेष अनमोल वचन

vijai Rajbali Mathur said...

सभी रचनाएँ अच्छी हैं परंतु यह कविता प्रेरणादायक है।

PRITY KUMARI said...

Very nice