Friday, June 29, 2012

अपने अकेलापन को दूर करने के लिए आपको कितने लोंगो की आवश्यकता पड़ेगी?.....अरशद अली


प्रश्न कठिन नहीं परन्तु उत्तर देना आसन भी नहीं ..
गत रात्रि दफ्तर से घर लौटा तो घर की दीवालें प्रश्न कर हीं बैठीं .....

"आज भी अकेले घर आये हो , कहाँ गए वो लोग जो तुम्हरे इर्द-ग्रीद हुआ करते थे? "

अन्न्यास इस प्रश्न पर मै आश्चर्यचकित था.
सोफे में धस कर बैठना मेरे हताशा का प्रतीत था.प्रश्न का उत्तर धुंडने की हिम्मत जुड़ाने के लिए एक कप चाय की आवश्यकता रही थी पर बनाने की हिम्मत जुटाना मुश्किल था.ऐसे में माँ की याद आ जाती है.उन्हें तो सब मालुम रहता है मुझे क्या चाहिए,कितना चाहिए,कब चाहिए ....

शायद मेरा अकेलापन दूर हो जाता यदि माँ यहाँ होती तो..

दिन भर की गहमा-गहमी के बाद घर आना सुकून देता है मगर वो आवाज़ कई दिनों से जाने कहाँ है जो सीधा प्रश्न करती है "क्यों जी ऑफिस में सब ठीक ठाक है ना " उत्तर तो उन्हें भी पता रहता है ---हाँ पापा सब ठीक है मगर उन्हें पूछने की आदत है और मुझे उस प्रश्न को प्रतिदिन सुनने की....

शायद मेरा अकेलापन दूर हो जाता यदि पापा यहाँ होते तो..

आज सब रिक्त है.. घर के अन्दर की ख़ामोशी मन की सतह पर पसर कर धड़कन की शोर को सुनने को मजबूर दिखती है नहीं तो आज छोटी बहन साथ होती तो टी.वी के शोर में हम दोनों की लड़ाइयाँ "कमबख्त रिमोट के लिए"आम नोक-झोक का रूप ले हीं लेती. फिर बड़े भईया की डांट सुनने को मिलता मुई धड़कन की धक् धक् कहाँ महसूस होती ...

शायद मेरा अकेलापन दूर हो जाता यदि भाई बहन यहाँ होते तो..

आज कोई नहीं मेरे साथ मै हूँ और मेरा अकेलापन....ऐसे में

मेरी खिड़की से
लिपटी हुई लततर
अन्न्यास झांकती
मेरे कमरे में
और जान जाती मेरे राज को
जो मै छुपाना चाहता हूँ

कई बार सोंचा
जड़ से हटा दूँ
इस लततर को
जो जाने अनजाने
मेरे एकाकीपन को दूर
करती आई है

हवाओं के स्पर्श से
हिलती हुई ये लततर
आभास कराती
कभी माँ
कभी पापा
कभी भाई बहन
के होने का
और मुझे बिवश करती
अपने और
देखने के लिए

मेरा अकेलापन
दूर हो जाता कुछ पल
फिर होती एक लम्बी ख़ामोशी
और उस ख़ामोशी में
मै ,मेरा अकेलापन
और मेरे खिड़की से लिपटी हुई
ये लततर...


मुझे अपने अकेलापन को दूर करने के लिए मम्मी,पापा,भाई-बहन और मेरे खिड़की से लिपटी हुई लततर की आवश्यकता होती है .....

मगर ये प्रश्न आपके लिए छोड़े जा रहा हूँ "अकेलापन दूर करने के लिए आपको कितने लोंगो की आवश्यकता पड़ेगी??"


---अरशद अली---