Thursday, September 29, 2011

मरने के बाद एक कविता लिखने का मौका मिले तो मै क्या लिखूंगा ....


आज यही सोच रहा था.. जीवन के कई रंगों को जीने की लत लगी हुई है..क्या भला है क्या बुरा चंचल मन भली भाती जानता है .जन्म से मृत्यु तक अनेकों रंग देखना है.जैसा रंग मिलेगा वैसी कविता का जन्म हो जाएगा मगर यदि मरने के बाद एक कविता लिखने का मौका मिले तो मै क्या लिखूंगा .......इसी सींच में डूब कर जो पंक्तियाँ जन्म ली वो आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ

मेरी म्रत्यु
मेरा कब्र
कब्र के अन्दर
मेरा दर्द
शान्त पडी हुई
ये मट्टी
जिसमे संवेदना
प्रखर
सडा रही है
लाश को मेरे
फिर भी
मौन खडा पत्थर
बतलायेगा उनको
मेरे जीने
का हुनर
सव्छंद बिचारा
अब शांत पड़ा
जीवन का
अंतिम प्रहर
खूब किया हेरा फेरी
अब मेरे हिस्से
मेरा कब्र ...

---अरशद अली--